सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करो!
दिल्ली दंगों के असली आरोपियों को गिरफ्तार करो
साथी नताशा, देवांगना और आसिफ को हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है व उन्हें अंततः तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया है। नताशा, देवांगना और आसिफ पिछले एक साल से ज्यादा समय से सीएए- एनआरसी विरोधी आंदोलन के दौरान भड़के दंगे में शामिल होने के झूठे व बेबुनियाद आरोप के तहत जेल में बन्द थे। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एफआईआर 59/20 में यूएपीए की धारा के तहत दर्ज मुकदमे में तीनों छात्रों को परसो जमानत दी थी। तीनों पर दर्ज अन्य मुकदमों में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी थी। परन्तु जमानत मिलने के बावजूद दिल्ली पुलिस नताशा, देवांगना और आसिफ़ के परिवार के पते की जांच और जमानती की जांच पड़ताल के नामपर 22 जून तक तीनों साथियों को रिहा करने से इंकार कर रही थी। जिला न्यायालय ने भी इस मसले में कल तुरंत कार्यवाही से इंकार कर दिया। अंततः पुनः उच्च न्यायालय के निर्देश पर आज जिला न्यायालय ने तीनों साथियों की रिहाई के कागज़ दिए। दिल्ली पुलिस शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पेटिशन के जरिए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करने की अपील करने पहुंची है।
इस पूरे प्रकरण ने यह दिखाया कि किस तरह फासीवादी सरकार और प्रशासन प्रतिरोध की आवाजों को दबाने का प्रयास करती हैं। साथी नताशा, देवांगना व आसिफ का रिहा होना एक सुखद खबर है, परन्तु यह भी हमें याद रखना होगा कि अभी भी कई राजनीतिक कार्यकर्ता, मानवाधिकार व सामाजिक कार्यकर्ता अलग अलग जेलों में निराधार आरोपों के तहत बंद है, हम उनकी रिहाई की भी त्वरित मांग करते हैं। साथ ही हम यूएपीए कानून को रद्द करने की मांग उठाते हैं। दिल्ली दंगे के असली गुनाहगार कपिल मिश्रा, रागिनी तिवारी, परवेश वर्मा और अन्य दंगाई पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। हम मांग करते हैं कि दिल्ली दंगों के असली आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए।