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Disha Students' Organization/ दिशा छात्र संगठन
Flee Not, Change The World !
एक तरफ विश्वविद्यालय के गार्ड छात्रों के साथ गाली -गलौज और मारपीट करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा भ्रामक और झूठे आरोपों के जरिए मामले पर लीपापोती की कुत्सित कोशिश की जा रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन के फ़र्ज़ी आरोपों को चैलेंज करते दिशा छात्र संगठन के चन्द्रप्रकाश
क्या कैम्पस डेमोक्रेसी के लिए बोलना जुर्म हो गया है?
विश्वविद्यालय में सुरक्षाकर्मियों की गुण्डागर्दी नहीं चलेगी!
दिशा छात्र संगठन के सदस्य चन्द्रप्रकाश का निलम्बन वापस लो!
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रशासन की गुण्डागर्दी रोज़-ब-रोज़ बढ़ती जा रही है। विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मी विश्वविद्यालय प्रशासन की शह पर गुण्डागर्दी के सभी पुराने कीर्तिमान ध्वस्त करते जा रहे हैं। इसी क्रम में आज दिशा छात्र संगठन से जुड़े और एमए के छात्र चन्द्रप्रकाश जब क्लास करने के लिए जा रहे थे तभी शशिकान्त नाम का एक सुरक्षाकर्मी चन्द्रप्रकाश से बदतमीज़ी करने लगा। जब चन्द्रप्रकाश और अन्य छात्रों ने इसका विरोध किया तब शशिकान्त छात्रों से गाली-गलौज करने लगा और चन्द्रप्रकाश के साथ मारपीट करने लगा। बाद में चन्द्रप्रकाश को खींच कर एक बिल्डिंग के पीछे ले जाने लगा। जब चन्द्रप्रकाश ने इसका विरोध किया और वहां उपस्थित छात्र विडियो बनाने लगे तब जाकर शशिकान्त ने बताया कि चन्द्रप्रकाश का विश्वविद्यालय प्रवेश पर बैन लगाया गया है।
क्या किसी छात्र पर बैन लगने के बाद विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों को यह छूट मिल गयी है कि वह छात्रों से मारपीट करें? आख़िरी सुरक्षाकर्मी किसकी शह पर इस गुण्डागर्दी को अन्जाम दे रहे हैं? क्या अपनी जायज़ मांगों के लिए आवाज़ उठाना अपराध हो गया है? आज विश्वविद्यालय में जनवादी अधिकारों के लिए संघर्ष करने वालों के लिए निलम्बन, निष्कासन, एफ़आईआर आम बात बन गयी है।
ग़ौरतलब है कि पिछले दिनों दिशा छात्र संगठन से जुड़े हुए कुछ छात्र विश्वविद्यालय में परिचर्चा कर रहे थे तभी 5-6 सुरक्षाकर्मी आकर छात्रों को धमकाने लगे और आईकार्ड माँगने लगे। दिशा के सदस्यों ने जब इसका विरोध किया तो सुरक्षाकर्मी प्रॉक्टर को बुलाने लगे। तब तक अन्य छात्रों की भीड़ इकट्ठी हो गई। छात्रों का हुजूम देखते हुए गार्ड वहां से चले गए। इसी तरह अगले दिन दिशा के सदस्य विश्वविद्यालय में पर्चा वितरित कर रहे थे और कुछ सदस्य सामूहिक अध्ययन कर रहे थें, तभी सुरक्षाकर्मी आकर छात्रों से बदसलूकी करने लगे और एक गार्ड ने तो संगठन के एक सदस्य का कॉलर पकड़ लिया तथा छात्राओं को धक्का देने लगा। जिसके बाद सैकड़ों छात्र वहां एकत्रित हो गए और इस तानाशाहीपूर्ण रवैये के ख़िलाफ़ विश्वविद्यालय परिसर में मार्च निकाला गया। इस आन्दोलन में चन्द्रप्रकाश की नेतृत्वकारी भूमिका थी। चन्द्रप्रकाश द्वारा छात्रों को जुझारू रूप से संगठित करने से बौखलाया विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी कायरता का परिचय देते हुए चन्द्रप्रकाश को परिसर से निलम्बित कर विश्वविद्यालय में प्रवेश पर रोक लगा दिया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन के इस कायराना दुर्व्यवहार से हमारे हौसले टूटने वाले नहीं है। हम अब भी विश्वविद्यालय प्रशासन के हर तरह के अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ते रहेंगे, बोलते रहेंगे। जब तक चंद्रप्रकाश का निलम्बन वापस नहीं लिया जाता तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
महज़ आँकड़े नहीं, ज़िंदगियाँ...
व्यवस्थागत समस्याओं के चलते ये ज़िंदगियाँ यूँही कब तक दम तोड़ती रहेंगी?
एनसीआरबी की नवीनतम रिपोर्ट में सामने आए छात्रों और युवाओं की आत्महत्याओं के आँकड़े।
*'क्वाण्टम मैकनिक्स' के सौ साल*![]()
ऑनलाइन परिचर्चा![]()
विषय - क्वाण्टम के सौ साल
वक्ता - डॉ. सनी सिंह
(विज्ञान पत्रिका 'द स्पार्क' के सम्पादक, वैज्ञानिक और राजनीतिक कार्यकर्ता)![]()
28 अक्टूबर, शाम 7 बजे![]()
यह कार्यक्रम गूगल मीट पर आयोजित किया जायेगा। लिंक के लिए नीचे दिये गये नम्बरों पर सम्पर्क करें - 8318226322, 9891951393![]()
- दिशा छात्र संगठन
Photos from दिशा विद्यार्थी संघटना/Disha Students' Organisation, Maharashtra's post

