‘दिशा छात्र संगठन’ ऐसे छात्रों-युवाओं का संगठन है जो मानते हैं कि शिक्षा और रोज़गार देश के हर नागरिक का मूलभूत अधिकार है। हर किसी को समान एवं निःशुल्क शिक्षा देना सरकार की ज़िम्मेदारी है। भारत के संविधान में समान एवं निःशुल्क शिक्षा के हक़ को नीति-निर्देशक सिद्धान्तों में डालकर भारत की जनता के साथ एक बेशर्म विश्वासघात किया गया था। इसे मूलभूत अधिकार के रूप में स्वीकार करने के लिए भारतीय पूँजीवादी सत्ता को बाध्य करने के लिए देश के पैमाने पर एक विशाल और शक्तिशाली छात्र आन्दोलन खड़ा करने की ज़रूरत है। साथ ही, जीने के अधिकार को मूलभूत अधिकार मानना लेकिन ‘काम के हक़’ या रोज़गार गारण्टी के अधिकार को मूलभूत अधिकार न मानना भी भारतीय हुक्मरानों द्वारा भारत की जनता के साथ की गयी ग़द्दारी थी। इसलिए रोज़गार गारण्टी को भी मूलभूत अधिकार के तौर पर स्वीकार करने के लिए पूँजीपति वर्ग को बाध्य करने हेतु एक देशव्यापी जुझारू जनान्दोलन खड़ा करने को ‘दिशा’ अपने केन्द्रीय कार्यभारों में से एक मानती है।
दिशा छात्र संगठन के घोषणापत्र और संविधान को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
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