आख़िरकार फ़ासीवादी निज़ाम के क्रूर हाथों ने फ़ादर स्टेन स्वामी की हत्या कर दी!

84 साल के फ़ादर स्टेन स्वामी को माओवादी पार्टी से जुड़े होने के फ़र्ज़ी आरोप में पिछले साल गिरफ़्तार किया गया। वे कई बीमारियों से जूझ रहे थे। पिछले दो दिनों से वे वेण्टिलेटर पर थे। उनके इलाज़ में जानबूझकर देरी की गयी। जेल में उनका कोविड टेस्ट भी नहीं हुआ था। बाद में वे कोविड पॉजिटिव पाये गये। उन्होंने अपने ख़राब स्वास्थ्य के मद्देनज़र जमानत की माँग की, लेकिन एनआईए ने उनकी ज़मानत का विरोध किया। वेण्टिलेटर पर होने के बावजूद उन्हें जमानत नहीं दी गयी।
फ़ादर स्टेन स्वामी बार-बार कहते रहे कि फ़र्ज़ी आरोप लगाकर जेलों में डाले गये आदिवासी युवाओं के हक़ों की आवाज़ उठाने की वजह से उन पर यह आरोप लगाया गया है। अभी भी गौतम नवलखा, आनन्द तेलतुम्बड़े, सुधा भारद्वाज समेत तमाम एक्टिविस्ट फ़र्ज़ी आरोपों के तहत जेल में रखे गये हैं। बहुत कोशिशों के बाद वरवरा राव को पिछले दिनों जमानत मिल सकी।
दिशा छात्र संगठन गहरे शोक के साथ फ़ादर स्टेन स्वामी को क्रान्तिकारी सलाम पेश करता है और सभी इंसाफ़पसन्द नागरिकों से अन्य सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं की रिहाई की माँग को तेज़ करने के लिए और आवाज़ को और ऊँचा उठाने का आह्वान करता है।