अम्बेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ़ से एक छात्रा पर ऑनलाइन प्रोटेस्ट करने पर 5000 का जुर्माना

अभिव्यक्ति पर हमला नहीं सहेंगे!

बीते 30 जून को अम्बेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ़ से एमए फ़ाइनल सेमेस्टर की एक छात्रा के लिए एक नोटिस जारी किया गया, जिसके मुताबिक उसे फ़ाइनल सेमेस्टर की परीक्षा में बैठने के लिए 5,000 का जुर्माना भरना होगा। विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक उस छात्रा ने विश्वविद्यालय के अनुशासन कोड का उल्लंघन किया था।

पिछले वर्ष 23 दिसम्बर को अम्बेडकर विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षान्त समारोह के दौरान छात्रा ने आरक्षण नीति में संवैधानिक बदलाव और बढ़ी हुई फ़ीस के ख़िलाफ़ ऑनलाइन प्रोटेस्ट के माध्यम से अपना विरोध दर्ज़ कराया था। छात्रा ने यह कहा था कि मुख्यमंत्री छात्रों के हित के बारे में नहीं सोचते। ग़ौरतलब है कि इस दीक्षान्त समारोह के मुख्य अतिथि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल थे।

हालाँकि इस प्रतिरोध में अन्य लोग भी शामिल थे, लेकिन इसमें केवल उस छात्रा को ही निशाना बनाया गया। छात्रा का यह कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उसके निचली जाति होने की वजह से उसे निशाना बनाया। विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों के अभिव्यक्ति की आज़ादी का हनन कर रही है, और साथ ही साथ उनके बीच जातिगत भेदभाव भी कर रही है।

तमाम प्रतिरोधों की वजह से दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को मजबूरन यह बयान देना पड़ा है कि उस छात्रा पर कोई कार्रवाई न की जाए। हम विश्वविद्यालय प्रशासन के इस छात्र विरोधी रवैये का विरोध करते हैं, और यह माँग करते हैं कि जल्द से जल्द उस छात्रा पर से जुर्माना हटाया जाए, उसे परीक्षा देने की अनुमति दी जाए और साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित किया जाए कि आगे से किसी भी छात्र या छात्रा को इस तरह के जातिगत भेदभाव का सामना न करना पड़े और उन्हें अपनी असहमति दर्ज़ कराने का पूरा हक़ दिया जाए।