फ़िलिस्तीनी जनता के मुक्ति संघर्ष के समर्थन में दिशा छात्र संगठन की केन्द्रीय परिषद का प्रस्ताव
फ़िलिस्तीनी जनता के मुक्ति संघर्ष का समर्थन करो!
औपनिवेशिक सेटलर कॉलोनी इज़रायल द्वारा फ़िलिस्तीन में जारी बर्बर क़त्लेआम का विरोध करो!
अक्तूबर 2023 से इज़रायल द्वारा फ़िलिस्तीन में जारी नरसंहार ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दी हैं। इन 21 महीनों के दौरान 59,000 से भी ज़्यादा फ़िलिस्तीनीयों की जानें जा चुकी हैं और 1,37,000 से ज़्यादा घायल हैं। एक सर्वे के अनुसार मरने वालों में दो-तिहाई बच्चे और महिलाएँ हैं। ग़ज़ा में होने वाली मौतों की वजह सिर्फ़ इज़रायली बमबारी ही नहीं है, ज़ायनवादी इज़रायल राहत सामग्री लेने क़तार में खड़े लोगों पर भी गोलियाँ बरसा रहा है, खाद्य सामग्री, ईंधन, दवाइयों की आपूर्ति तक पर इज़रायल ने पाबन्दी लगा रखी है। लगभग 93% लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। ग़ज़ा को यातना शिविर में तब्दील कर दिया गया है। वहाँ तक पहुँचने की सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हर कोशिश को नाक़ाम कर दिया जा रहा है – जून माह में समुद्र के ज़रिये मैडलीन जहाज़ से ग़ज़ा तक पहुँचने की कोशिश हो या मिस्र के रास्ते पैदल मार्च की कोशिश हो। फ़िलिस्तीन के ‘वेस्ट बैंक’ की जनता भी आये दिन ज़ायनवादी हमले झेल रही है।
फ़िलिस्तीनी जनता के क़त्लेआम का इतिहास 21 महीने नहीं, बल्कि 8 दशक पुराना है। इज़रायल कोई देश नहीं है बल्कि पश्चिमी साम्राज्यवादियों की शह पर मध्य पूर्व में सैन्य चौकी के रूप में इसे स्थापित किया गया था। पहले ब्रिटेन और अब अमरीकी साम्राज्यवाद से प्राप्त मदद के बल पर इज़रायल ने 1917 से अब तक लाखों फ़िलिस्तीनीयों को अपनी जगह-ज़मीन से बेदख़ल किया है। 1948 में शुरू हुआ नक़बा आज भी जारी है।
ज़ाहिर है इज़रायल अपनी आत्मरक्षा नहीं कर रहा, बल्कि फ़िलिस्तीनी अवाम अपनी आज़ादी की लड़ाई लड़ रही है। आज के समय में न्यायबोध से लैस किसी भी छात्र, किसी भी युवा के लिए फ़िलिस्तीन का पक्ष चुनना इंसानियत का पक्ष चुनना है। दशकों से जारी इस नरसंहार की ओर आँखें मूँद लेना इंसाफ़ से मुँह मोड़ना होगा। आज दुनियाभर में छात्र और युवा फ़िलिस्तीन के हक़ में सड़कों पर उतर रहे हैं। कई देशों के हुक्मरानों–सरमायदारों को तो जनआन्दोलनों के दबाव में इज़रायल के साथ व्यापारिक सम्बन्ध तोड़ने के क़दम भी उठाने पड़े हैं।
दिशा छात्र संगठन फ़िलिस्तीनी अवाम के मुक्ति संघर्ष का पुरज़ोर समर्थन करता है और ज़ायनवादी इज़रायल के पूर्ण बहिष्कार का आह्वान करता है। हम सभी न्यायप्रिय छात्राओं-युवाओं, नागरिकों का आह्वान करते हैं कि फिलिस्तीन में जारी बर्बर क़तलेआम के ख़िलाफ़ चल रहे बीडीएस (Boycott, Divestment, Sanctions) आन्दोलन का हिस्सा बनें। हर उस कम्पनी-उपक्रम और व्यापारिक-अकादमिक-सांस्कृतिक गतिविधि का पूर्ण बहिष्कार करें जो इस ख़ूँ-रेज़ी में इज़रायल की मददगार है। हम मोदी सरकार से यह माँग करते हैं कि हत्यारे इज़रायल के साथ क़ायम सभी कूटनीतिक और व्यापारिक सम्बन्धों को तत्काल समाप्त किया जाये।
फ़िलिस्तीनी जनता का मुक्तिसंघर्ष ज़िंदाबाद!
ज़ायनवादी इज़रायल मुर्दाबाद!!