अव्यवस्था और सरकारी कुप्रबन्धन की सालाना नुमाइश बन चुकी है उत्तर प्रदेश पीईटी परीक्षा!
उत्तर प्रदेश में हर साल होने वाली पीईटी परीक्षा साल-दर-साल अव्यवस्था और सरकारी कुप्रबन्धन सालाना नुमाइश में तब्दील हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में यूपीएसएसएससी की समूह ‘ग’ की सभी भर्तियों में बैठने के लिए अनिवार्य बना दी गयी यह परीक्षा इस साल 6-7 सितम्बर को आयोजित की गयी थी। इस परीक्षा के 25 लाख से ज़्यादा छात्रों ने फॉर्म भरे थे। उत्तर प्रदेश में परीक्षा के लिए 48 ज़िलों में सेण्टर बनाये गये थे। कई दिन पहले से ही हज़ारों बसें और तमाम ट्रेनें चलाने आदि की बातें अख़बारों चैनलों में प्रचारित की जा रही थीं। लेकिन ये सारे दावे परीक्षा के दिन हवा-हवाई नज़र आये। रेलवे और बस स्टेशनों पर हज़ारों-हज़ार की भीड़, शहरों में जाम, पुलिस के लाठीचार्ज आदि से जूझते हुए छात्र किसी तरह सैकड़ों किलोमीटर दूर बने परीक्षा केन्द्रों पर पहुँचे। इस दौरान इलाहाबाद में एक छात्र की ट्रेन से गिरकर मृत्यु भी हो गयी।
ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा करायी जाने वाली यह परीक्षा किसी नौकरी की परीक्षा नहीं है बल्कि इस परीक्षा में पास होने के विभिन्न सरकारी नौकरियों की परीक्षा में बैठने की शर्त है। कहने की ज़रूरत नहीं है कि यह कुल मिलाकर छात्रों की जेब से सरकारी वसूली का ही एक तरीक़ा है जिसके लिए छात्रों को जान तक जोख़िम में डालनी पड़ती है। फॉर्म भरने से लेकर परीक्षा केन्द्रों तक आने-जाने आदि के माध्यमों से लाखों छात्रों से हर साल करोड़ों-अरबों की कमाई उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के छात्र-विरोधी रवैये को उजागर करने के लिए काफ़ी है।
तीन साल तक के लिए मान्य इस परीक्षा को पास कर लेने के बाद भी छात्रों को कोई लाभ नहीं मिलता है क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में सरकारी भर्तियों पर अघोषित रोक लगा रखी है। यही हालत टीईटी से लेकर तमाम परीक्षाओं की है, जिनको क्वालिफ़ाई करने के बाद भी छात्र-युवा कई-कई सालों से भर्तियों का इन्तज़ार कर रहे हैं और सरकार पूरी बेशर्मी से सरकारी विभागों को निजी हाथों में सौंपने, सारी नौकरियों को ठेके-संविदा पर देने में जुटी हुई है। कभी-कभार चुनाव आदि के दबाव में ऊँट के मुँह में जीरे के बराबर कोई भर्ती आ भी जाती है तो पर्चा लीक, धाँधली आदि उन भर्तियों में अनिवार्य नियम की तरह काम करती है। पर्चा लीक, धाँधली आदि पर रोक लगाने के नाम पर उत्तर प्रदेश सरकार ने एक नया पैंतरा निकाला है कि सख़्ती करने के नाम पर वह छात्रों को ही कई-कई सौ किलोमीटर दूर सेण्टर भेजकर इधर-उधर भागने पर मजबूर करती है, मानो सारी धाँधली और पेपर प्रदेश के आम छात्र ही करते हों।
दिशा छात्र संगठन उत्तर प्रदेश सरकार के इस छात्र-विरोधी रवैये की निन्दा करता है और माँग करता है प्रदेश की सरकारी भर्तियों से लगी रोक हटायी जाये। छात्रों से वसूली के लिए अपनायी जा रही सभी तिकड़मों को बन्द किया जाये और सभी परीक्षाओं के फॉर्म और यात्रा शुल्क को निःशुल्क किया जाये। भर्तियों के नोटिफ़िकेशन जारी होने से लेकर जॉइनिंग तक की समय सीमा तय की जाये। मृतक छात्र के परिवार को उचित मुआवज़ा दिया जाये तथा परीक्षा देने गये छात्रों के ऊपर लाठीचार्ज करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाये।
– दिशा छात्र संगठन