महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक में दिशा छात्र संगठन द्वारा लगाया गया सहायता शिविर

दिशा छात्र संगठन की महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक (हरियाणा), इकाई द्वारा पिछले कई दिनों से छात्र-छात्राओं की मदद हेतु ‘सहायता शिविर’ (HELP DESK) का आयोजन किया जा रहा है। दाख़िले के दौरान छात्रों को बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। विश्वविद्यालय की ओर से ऑनलाइन दाख़िले के लिए कहा गया है, जिसमें साइबर कैफ़े वालों की ख़ूब चाँदी हो रही है। दूसरी और ऑनलाइन आवेदन के साथ-साथ ‘फॉर्म’ की ‘हार्ड’ प्रति सम्बन्धित विभाग
में भी जमा करवानी पड़ती है। भागदौड़ और ज़द्दोजहद के बीच 21 जून यानि अन्तिम तिथि तक बहुत सारे छात्र दाख़िले के बिना रह गये थे। इसी के मद्दे
नज़र तमाम छात्र संगठनों के साझा प्रयास से वी. सी. साहब से मिलकर अन्तिम तिथि को 24 जून तक यानि चार दिन आगे ख़िसकवाया गया। दिशा
के वालण्टियर दाख़िला प्रक्रिया में छात्रों की हर सम्भव मदद कर रहे हैं। इस दौरान छात्रों से संवाद स्थापित करके छात्रों की विभिन्न समस्याओं पर भी बातचीत की जा रही है तथा साथ ही छात्रों के बीच स्वागत परचे का भी वितरण किया जा रहा है। पेश है इस दौरान बाँटे जा रहे परचे की टंकित प्रति :-
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नये सत्र में दिशा छात्र संगठन आप सभी नवागन्तुक छात्र साथियों का हार्दिक अभिनन्दन करता है!
दोस्तो, नये सपनों और नयी उम्मीदों के साथ आप विश्वविद्यालय में दाख़िल होने की दौड़-धूप में लगे हुए हैं। आपमें से कुछ तो स्कूल के व कुछ काॅलेज के दिनों को भी पीछे छोड़ते हुए यहाँ तक पहुँचे हैं। कुछ स्तरीय शिक्षा हासिल करने के प्रयास में लगे हैं तो कुछ का मकसद महज़ इतना है कि किसी तरह से दाख़िला मिल जाये और पुस्तकालय व छात्रावास का इस्तेमाल करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में स्वयं को झोंक दिया जाये। और दाख़िला लेने के इच्छुकों में से कुछ ऐसे महानुभाव भी मिल जायेंगे जिनका मकसद कैम्पस में बस इधर से उधर चक्कर लगाना ही होगा जिसे अपने यहाँ ‘गेड़े मारणा’ या ‘जीसे लेणा’ कह देते हैं! यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि ज़िन्दगी के हर नये पड़ाव के साथ कुछ ज़िम्मेदारियाँ भी आती हैं। हमारे सामने बस दो ही विकल्प होते हैं या तो हम ज़िम्मेदारियों से मुँह चुरा कर निकल जायें और या फ़िर उन्हें समझने के बाद उनको अंजाम तक पहुँचाने के लिए कमर कस लें तथा रास्ते में आने वाली बाधाओं से दो-दो हाथ करते हुए मंजिल तक पहुँचें। कैम्पस हालाँकि समाज का ही हिस्सा है

तो यहाँ भी हमारा सामना उन दिक्कतों से हो सकता है जिन्होंने पहले ही समाज को शिकंजे में जकड़ रखा है या फ़िर हमारी शिक्षा व्यवस्था से जुड़े हुए ऐसे मुद्दे हमारे सामने आ सकते हैं जिनसे हम पहली दफ़ा ही रूबरू होंगे।

हरियाणा के कैम्पसों तक पहुँचने वालों में; संजीदा युवाओं की भी कमी नहीं है। सरकारों की जो नीतियाँ हमारी शिक्षा और रोज़गार को प्रभावित करें हम उनसे मुँह नहीं मोड़ सकते। समाज में फैले जाति-पाति के ज़हर से हमारा कैम्पस भी सुरक्षित नहीं है। साम्प्रदायिकता और स्त्री विरोधी मानसिक गन्दगी को अपने दिमाग में बैठाये हुए लोगों से आपका सामना यहाँ भी हो सकता है। ज़ाहिर सी बात है एक इंसाफ़पसन्द युवा इन सब मुद्दों पर चुप्पी की चादर ओढ़कर नहीं बैठा रह सकता। पहली बात तो जब कैम्पस में पढ़ाई का माहौल ही नहीं रहेगा तो हम पढ़ेंगे क्या खाक और दूसरी बात यदि समाज ही तबाह-बरबाद होने की कगार पर होगा तो फ़िर अकेले हमारे ‘‘सुनहरे भविष्य’’ (‘कैरियर’) 23 june 7का
भी क्या बनेगा! इसलिए साथियो पढ़ाई
के साथ-साथ अपने आस-पास की स्थितियों पर भी हमारी पैनी नज़र होनी चाहिए। यदि हम सचेत नहीं रहेंगे तो समाज के तथाकथित ठेकेदार जाति-धर्म-आरक्षण के नाम पर हमें भी बाँट देंगे और इस बँटवारे के कारण शिक्षा-रोज़गार से जुड़े हमारे असल मुद्दे कहीं पीछे छूट जायेंगे। आज न केवल शिक्षा और रोज़गार के मुद्दे हमारे ऐजेण्डे में हों बल्कि हम जातिवाद, साम्प्रदायिकता, ग़रीबी, भुखमरी, महँगाई और अमीर व ग़री23 june 9ब के बीच बढ़ती खाई जैसे मुद्दों पर भी विचार करें और अपनी सही राय रखें। युवा देश का भविष्य इसी अर्थ में होते हैं कि वे ग़लत के ख़िलाफ़ सवाल उठाने वालों में सबसे अग्रणी होते हैं और उनके पास ही वर्तमान को सुधारने और बदलने का जज़्बा सर्वाधिक होता है।
‘दिशा छात्र संगठन’ पूरी तरह से आपका अपना छात्र संगठन है। हम किसी चुनावी पार्टी के पिछलग्गू नहीं हैं। हम समय-ब-समय न केवल छात्रों-युवाओं से जुड़े बल्कि समाज को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी अपनी आवाज़ उठाते रहे हैं। हमारा केन्द्रीय नारा है ‘सबके लिए समान और निःशुल्क शिक्षा और हर काम करने योग्य नौजवान के लिए रोज़गार के समान अवसर’ उपलब्ध होने चाहियें। यह हक हमें ऐसे ही उपलब्ध नहीं हो जायेगा बल्कि इसके लिए देश भर में क्रान्तिकारी छात्र आन्दोलन खड़ा करना पड़ेगा। दूसरी बात, घटती सीटों का मुद्दा हो या बढ़ती फ़ीसों का, जातीय उत्पीड़न का मामला हो या फ़िर बढ़ती साम्प्रदायिकता का, स्त्री उत्पीड़न का मामला चाहे कैम्पसों के अन्दर का हो चाहे बाह
र समाज का; दिशा छात्र संगठन ने उपरोक्त मुद्दों पर पहलकदमी के साथ अपना सकारात्मक दखल दिया है। यदि आप भी छात्र-युवा आन्दोलन में एक नयी शुरूआत और समाज में नये जीवन मूल्य पैदा करने के पक्षधर हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें और इस कारवाँ में हमारे हमसफ़र बनें। इंक़लाबी सलाम के साथः
दिशा छात्र संगठन
लड़ो पढ़ाई करने को ! पढ़ो समाज बदलने को !!