लोकसभा चुनाव 2024 पर दिशा छात्र संगठन का स्टैण्ड
आगामी लोकसभा चुनाव में दिशा छात्र संगठन उस जनपक्षधर संघर्षशील पार्टी को अपना सशर्त समर्थन दे सकता है जो पार्टी हमारी शर्तों को पूरा करती हो, जिसके लक्ष्य-उद्देश्य हमारे लक्ष्य-उद्देश्य से टकराते न हों और जो हमारे माँगपत्रक को अपने घोषणापत्र में जगह देती हो और जिसमें इन माँगों को लेकर संघर्ष करने का माद्दा हो!
साथियो, देश में 18वें लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ये चुनाव न केवल छात्रों-युवाओं बल्कि देश की मेहनतकश जनता के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। आज़ादी के बाद के 75 साल के दौरान कभी इस या कभी उस लुटेरी पार्टी ने देश पर शासन किया है। पिछले 10 वर्ष से देश पर फ़ासीवादी भाजपा का शासन है। भाजपा ने जनता के हालात बद से बदतर कर दिये हैं। इस समय साम्प्रदायिक फ़ासीवादी शक्तियों की पैठ समाज की पोर-पोर में हो चुकी हैं। शिक्षा व्यवस्था से लेकर सभी जनवादी संस्थाओं, सरकारी एजेंसियों, न्यायपालिका और मीडिया तक का व्यवस्थित फ़ासीवादीकरण अपने चरम पर है। मौजूदा समय में बेरोज़गारी, महँगाई, भ्रष्टाचार ने अपने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। चुनाव से पहले देशभर में धार्मिक उन्माद का माहौल बनाया जा रहा है ताकि लोग अपनी वास्तविक समस्याओं को भूल जायें। ऐसे समय में हम छात्रों-युवाओं से अपील करते हैं कि वे जाति-धर्म-क्षेत्र-भाषा के आधार पर न बँटें और समाज विरोधी ताक़तों के षड्यन्त्रों को जनता के बीच बेनक़ाब करें।
इस आम चुनाव में दिशा छात्र संगठन उस जनपक्षधर संघर्षशील पार्टी को अपना सशर्त समर्थन दे सकता है जो पार्टी हमारी शर्तों को पूरा करती हो, जिस पार्टी के लक्ष्य-उद्देश्य हमारे लक्ष्य-उद्देश्य के विपरीत न हों और जो पार्टी हमारे पूरे माँगपत्रक को अपने घोषणापत्र में जगह देती हो।
हमारी शर्तें-
1. हम केवल उसी पार्टी को अपना समर्थन देंगे जो निम्नलिखित स्रोतों से चन्दा नहीं लेती हो-
क) देशी-विदेशी पूँजीपतियों और धनी किसानों-कुलकों से
ख) देशी-विदेशी फण्डिंग एजेंसियों से
ग) सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थागत अनुदान
घ) कॉरपोरेट घरानों या उनके ट्रस्टों से
‘दिशा छात्र संगठन’ उक्त चार स्रोतों से चन्दा लेने वाली किसी भी पार्टी या उम्मीदवार को किसी भी सूरत में समर्थन नहीं देगा।
2. ‘दिशा छात्र संगठन’ केवल उसी पार्टी को समर्थन देगा जो निजीकरण-उदारीकरण की नीतियों को रद्द करेगी या इसके ख़िलाफ़ संघर्ष करेगी।
3. ‘दिशा छात्र संगठन’ खुले या छिपे रूप में जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र, राष्ट्रीयता आदि नामों पर ध्रुवीकरण व पहचान की राजनीति करने वाली किसी भी पार्टी या उम्मीदवार को समर्थन नहीं देगी।
4. हम केवल उसी पार्टी को अपना समर्थन देंगे जो अपने घोषणापत्र के ज़रिये यह घोषित करे कि उसका उम्मीदवार चुनाव जीतने के बाद एक कुशल मज़दूर की मज़दूरी के बराबर ही वेतन लेगा और सांसद निधि का हिसाब जनता के सामने सार्वजनिक करेगा।
‘दिशा छात्र संगठन’ केवल उसी पार्टी को अपना समर्थन देगा जो अपने घोषणापत्र में हमारे निम्नलिखित माँगपत्रक को शामिल करे :-
1. शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और आवास के हक़ को संवैधानिक संशोधन करके मौलिक अधिकार घोषित किया जाये।
2. सभी को समान एवं निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाये। जनविरोधी नयी शिक्षा नीति-2020 को रद्द किया जाये।
3. शिक्षा को शारीरिक श्रम से जोड़ा जाये, सैन्य प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाया जाये, उसे वैज्ञानिक तार्किक और पूर्ण रूप से जनवादी और सेक्युलर स्वरूप दिया जाये। हर प्रकार की धार्मिक और साम्प्रदायिक शिक्षा को पाठ्यक्रमों से तत्काल बाहर किया जाये।
4. निजीकरण-उदारीकरण की नीतियों को रद्द किया जाये।
5. देश में शहरी और ग्रामीण बेरोज़गारों के पंजीकरण की व्यवस्था की जाये और रोज़गार नहीं मिलने तक कम से कम 15,000 रुपये बेरोज़गारी भत्ता दिया जाये। इसे सुनिश्चित करने के लिए ‘भगतसिंह राष्ट्रीय रोज़गार गारण्टी क़ानून (बसनेगा)’ पारित किया जाये।
6. सभी राजकीय व केन्द्रीय विभागों में खाली पड़े लाखों पदों को भरने की प्रक्रिया तत्काल शुरू हो। नौकरियों के लिए आवेदन के भारी शुल्कों को ख़त्म कर निःशुल्क किया जाये और साक्षात्कार तथा परीक्षा के लिए यात्रा निःशुल्क हो।
7. नयी पेंशन योजना को रद्द कर पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाये।
8. नि:शुल्क सार्विक स्वास्थ्य देखरेख की गारण्टी दी जाये जिसके तहत चिकित्सा व दवा-इलाज सरकार की ज़िम्मेदारी हो।
9. महँगाई पर रोक लगाने के लिए सभी प्रकार के अप्रत्यक्ष करों को समाप्त किया जाये और बढ़ती सम्पति के आधार पर प्रगतिशील प्रत्यक्ष करों की व्यवस्था को लागू किया जाये।
10. छुआछूत ही नहीं बल्कि हर प्रकार के जातिगत भेदभाव को दण्डनीय अपराध घोषित करने हेतु संविधान में संशोधन किया जाये। जातिगत आधार पर संगठन या संस्था बनाने तथा वैवाहिक विज्ञापन आदि पर पूर्ण रोक लगायी जाये।
11. स्त्रियों और वैकल्पिक लैंगिक/जेण्डर पहचान रखने वाले व्यक्तियों, समलैंगिकों , ट्रांससेक्सुअल, ट्रांसजेण्डर लोगों के साथ सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक भेदभाव के हर रूप को समाप्त किया जाये। इसके लिए सख़्त क़ानून लाये जायें।
12. धार्मिक व जातिगत वैमनस्य भड़काने, हिंसा व ‘मॉब लिंचिंग’ आदि में संलग्न हर प्रकार के संगठन, दल आदि पर प्रतिबन्ध लगे, उन्हें आतंकवादी घोषित करके उनके नेताओं-कार्यकर्ताओं पर तत्काल सख़्त कार्रवाई की जाये।
13. सर्वधर्म समभाव के नक़ली सेक्युलरिज़्म के स्थान पर सच्चे सेक्युलर राज्य को सुनिश्चित करने के लिए क़ानून बनाया जाये। जिसके तहत किसी भी राजनीतिक नेता द्वारा किसी भी धर्म, समुदाय अथवा आस्था का सार्वजनिक जीवन में किसी भी रूप में उल्लेख करना, उसका इस्तेमाल करना दण्डनीय अपराध हो। सभी स्कूल-कॉलेजों, सरकारी विभागों आदि में किसी भी धर्म के प्रतीक, चिह्न या प्रार्थना को प्रतिबन्धित किया जाना चाहिए।
14. वित्तीय पारदर्शिता की व्यवस्था लायी जाये। चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों को मिलने वाले सरकारी फ़ण्ड एवं योजनाओं का जनता द्वारा चुनी गयी जनकमेटियों की देखरेख में पब्लिक ऑडिट व जाँच की व्यवस्था की जाये। तमाम जाँच व निगरानी संस्थाओं को न सिर्फ़ सरकार के नियन्त्रण से बाहर रखा जाये, बल्कि उनकी जवाबदेही इन जनकमेटियों के प्रति सुनिश्चित की जाये।
15. पर्यावरणीय प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सख़्त क़ानून बने। उन सभी सरकारी और ग़ैर-सरकारी योजनाओं पर, जो पर्यावरणीय तबाही का कारण बन रही हैं, तत्काल रोक लगायी जाये।
16. एस्मा, हेस्मा, राजद्रोह, देशद्रोह, यूपीकोका, मकोका जैसे जनविरोध ग़ैर-जनवादी काले कानूनों को रद्द किया जाये।
17. फ़िलिस्तीन की जनता के मुक्ति संघर्ष के प्रति सच्ची एकजुटता प्रदर्शित की जाये।
यह स्पष्ट रहे कि हमारा यह समर्थन नियतकालिक होगा न कि अनिश्चितकालीन। हमारी शर्तों पर खरी उतरने वाली किसी पार्टी को हमारा यह समर्थन साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर आधारित होगा न कि विचारधारा पर। ज़ाहिर है दिशा छात्र संगठन साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर आधारित एक जनसंगठन है न कि विचारधारा पर आधारित कोई पार्टी।
– ‘दिशा छात्र संगठन’ की केन्द्रीय परिषद की ओर से जारी