छात्रों-युवाओं की कब्रगाह बनता इलाहाबाद, कब तक चुप रहोगे!


इलाहाबाद और देश के अन्य प्रतियोगी छात्रों के गढ़ छात्रों-नौजवानों के आत्महत्या के गढ़ भी बनते जा रहे हैं। अभी कुछ देर पहले विकास सिंह नाम के एक छात्र ने बेरोज़गारी से तंग आकर फाँसी लगा ली। अभी कल ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीकॉम कर रही छात्रा रेणु शुक्ला ने आत्महत्या कर ली थी। ये आत्महत्याएं असल में पूँजीवादी व्यवस्था और फ़ासीवादी सत्ता द्वारा की जा रही नृशंस हत्याएं है जिसका न कोई सुराग है और न कोई सुनवाई।
तमाम सरकारी विभागों में लाखों पद खाली पड़े हुए है लेकिन फ़ासीवादी योगी-मोदी सरकार इन पदों को भरने की जगह पदों को ही खत्म करती जा रही है। सारे सरकारी विभागों को पूंजीपतियों को सौंप रही है और सारा काम ठेके और संविदा पर कराया जा रहा है। जो थोड़े बहुत पद सृजित भी हो रहे है उसमें भी धांधली हो जा रही है। सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट में लटकाया जा रहा है। इस पूरी स्थिति से तंग आकर जब छात्र-नौजवान आन्दोलन का रास्ता अपना रहे है तो ये फ़ासिस्ट सरकार पुलिस के दाम पर छात्रों के आवाज़ का दमन करने में लग जा रही है। अभी लखनऊ में 97000 शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आन्दोलनरत छात्रों को दरोगा श्यामबाबू शुक्ला डराने धमकाने पर उतारू हो गया। इतना ही नही फ़ासिस्ट योगी की शह और पुलिसिया वर्दी की अकड़ में दरोगा साफ-साफ कह रहा है कि इतने मुक़दमे करूंगा कि दिमाग़ ठीक हो जाएगा। बलात्कारी मानसिकता और जातिगत ऐंठ से ग्रसित दरोगा छात्रों को माँ-बहन की गालियां बक रहा था। स्थिति इतनी भयानक हो चली है कि मोदी-योगी की फ़ासिस्ट सत्ता के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वालों को पुलिस प्रशासन से न्यापालिका तक के दंश झेलने पड़ रहे है। छात्रों-नौजवानों के लिए इस फ़ासीवादी व्यवस्था में केवल भविष्य का अंधकार है।
यह पूरी स्थिति छात्रों-नौजवानों में अवसाद का कारण बन रही है और उन्हें मौत के मुँह में धकेल रही है।
लेकिन साथियों! इस समस्या का हल आत्महत्या या अवसाद नही हैं। क्योंकि हमारे आपके जीवन की कीमत सत्ताधारियों के लिए कुछ नही है। अपनी सत्ता बचाने के लिए ये नरपिशाच लाखों लोगों की बलि दे सकते है। इसलिए हमें यह स्पष्टतः समझना होगा कि आत्महत्या कोई विकल्प नही है। बल्कि हमें ऐसे दौर में अपनी क्रान्तिकारी एकजुटता कायम कर ‘सबको एकसमान और निःशुल्क शिक्षा और सबको रोज़गार’ के साथ-साथ खाली पदों को भरने आदि माँगो को लेकर संघर्ष छेड़ना होगा। संघर्षों के दम पर हम इस पूरी स्थिति का मुकाबला कर सकते है।